क्या बनाने आये थे क्या बना बैठे, कहीं मंदिर बना बैठे कहीं मस्जिद बना बैठे !
हमसे तो जात अच्छी है परिंदों की, कभी मंदिर पर जा बैठे तो कभी मस्जिद पर जा बैठे !!
Thursday, December 2, 2010
क्या बनाने आये थे क्या बना बैठे,
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Sher-o-Shayri
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