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Sunday, January 3, 2010

किसी के इतने पास न जा

किसी के इतने पास न जा
के दूर जाना खौफ़ बन जाये

एक कदम पीछे देखने पर
सीधा रास्ता भी खाई नज़र आये

किसी को इतना अपना न बना
कि उसे खोने का डर लगा रहे

इसी डर के बीच एक दिन ऐसा न आये
तु पल पल खुद को ही खोने लगे

किसी के इतने सपने न देख
के काली रात भी रन्गीली लगे

आन्ख खुले तो बर्दाश्त न हो
जब सपना टूट टूट कर बिखरने लगे

किसी को इतना प्यार न कर
के बैठे बैठे आन्ख नम हो जाये

उसे गर मिले एक दर्द
इधर जिन्दगी के दो पल कम हो जाये

किसी के बारे मे इतना न सोच
कि सोच का मतलब ही वो बन जाये

भीड के बीच भी
लगे तन्हाई से जकडे गये

किसी को इतना याद न कर
कि जहा देखो वोही नज़र आये

राह देख देख कर कही ऐसा न हो
जिन्दगी पीछे छूट जाये

ऐसा सोच कर अकेले न रहना,
किसी के पास जाने से न डरना

न सोच अकेलेपन मे कोई गम नही,
खुद की परछाई देख बोलोगे "ये हम नही

की मैं अब दोस्त बनता नहीं ....

कहते हैं, कुछ लोग जिन्दगी में आते हैं इस तरह
कब कैसे जिगर जान दोस्त बन जाते हैं क्या पता
पर.... अब मैं अपनी किस्मत को अजमाता नहीं ....
की मैं अब दोस्त बनता नहीं ....
कुछ लोग मिलते थे मुझे भी राहे ऐ ज़िन्दगी में
बहारो में साथ चले भी थे वो मेरे
तुफानो में कोई साथ चल पाता नहीं.....
की मैं अब दोस्त बनता नहीं ....
हर बार यकीन करता हूँ सबके फरेब पर
रखता हूँ अपने यकीन के टुकड़े समेट कर
पर....अब ...किसी पे भी ऐतबार आता नहीं
की मैं अब दोस्त बनता नहीं ....
इक बात कहू....
खुश हो तो दुनिया साथ होती हैं
रूठ जाओ तो कोई मनाता नहीं .......
इसलिए शायद ......
मैं किसी को भी अपने गम बताता नहीं

और....*
की मैं अब दोस्त बनता नहीं ....
 
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