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Sunday, September 6, 2009

कुछ दिल के उदगार

कुछ दिल के उदगार जिन्हें मैं रोक नही पाता, बिना सुनाये मेरे से अब रहा नही जाता !
देश की हालत बिगड़ गई, ऋषियो की फुलबादी थी बह सारी उजड़ गई !
फूट घर - घर मैं है आई, चुनाव की प्रडाली ने तो है आग लगाई !
मूर्ख बह नेता बन जाते, मन मानी कानून देश को लूट लूट खाते !
वोट गुंडों के अधिक पड़े, राजनीति के ग्याता रह गए हाथ पे धरे !
धरम बिन राजनीति अंधी, राजनीति बिन धरम है लंगडा मति हो गई मंदी !
बनाये पागल मत दाता , बिना सुनाये मेरे से अब ...............................

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